ईश्वर प्रथम श्वास..
ईश्वर अंतिम विश्वास...
मध्य में जो कुछ भी है,
है व्यर्थ का सब आभास ।।
एक मुस्कुराता हुआ चेहरा देखा..
कई मुस्कुराते हुए फिर, चेहरे नजर आए ,
फिर मुस्कुराते हुए चेहरों पर , कुछ पहरे नज़र आए !!
वो कौन सी बंदिशें थी , जो जान नहीं पाए हम,
पर देख कर उन्हे कुछ राज गहरे नजर आए।
ये दुनिया की सच्चाई के प्रतीक थे कुछ शायद,
जो आधी आबादी के लिए ही बनी है,,
जो हसती है, खेलती है,
दुख भी झेलती है..
कुछ कहती नहीं ज्यादातर
ज्यादातर नहीं सोचती है,
उसकी गणित बहुत कमजोर है
उसकी मन की इसलिए बाते कुछ अलग सी हैं...
चेहरे के भाव कुछ और हैं!!!
सीता हैं अभी जंगल में,
कुछ कहने लायक काम हो जाय!
यूं ही जाया किए उम्र ए ज़िन्दगी
थोड़ी देर के लिए ही नाम हो जाए!!!
या तामाशीन हैं शायद!!
मतलब भर की आंख खुली बंद रखते हैं!!!
उनका मसला हो, उम्मीद मदद की ...
दूसरों के मसलों पर कान मुंह बंद रखते हैं!!!
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....