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मैं एक किरदार हूं..

मैं एक किरदार हूं..!
कभी अहम पाल लेता हूं..
कभी वहम पाल लेता हूं..
हाथ देखता हूं जब खाली से..
ईश्वर का तलब गार हूं..।
मैं एक किरदार हूं..!
चलता हूं.. भागता हूं..
कुछ जोड़ने की जुगत में..
अपलक जागता हूं..!
ठहरता भी हूं मैं थककर..
रह जाता हूं लेकिन मैं अतृप्त सा..!
मैं एक अधूरा सा सार हूं !
मैं एक किरदार हूं..!
बसाता हूं.. सजाता हूं..
मन को बहुत रमाता हूं..
अनेकों वर्षों का मैं ..
गुड़ा भाग लगाता हूं..
एक घर अपना सा ..
अपनो से भरा हुआ..
एक दिन त्याग कर जाता हुआ..
किस बात का गुनहगार हूं..!!
मैं एक किरदार हूं..!!!!

शांति, अमन, चैन...ईश्वर व्याप्ति का आधार..

शांति, अमन, चैन...

ईश्वर व्याप्ति का आधार ।।

मुस्कान, अधर का प्रतीक निरंतर..

जब तक शांति का प्रसार..

सुंदरता जीवन की अविरल
जब तक द्वेष ..ना बने विचार ।।

बल ..असीम और अटूट..

जब तक हृदय में विश्वास..

विश्वास के सारे उपक्रम..

ईश्वर रूप का अभिप्राय..।।




कहीं उड़ता नहीं..मेरा मन..

कहीं उड़ता नहीं मेरा मन..

तुम्हारे हृदय के द्वार पर ..

ये बैठा रहता है..

कभी जो खुलेंगे द्वार..

दर्शन को तुम्हारे..

वो क्षण सोचा करता है..

मैं तो नश्वर,

मात्र एक किश्वर..

हूं मैं तो सदा से अश्वर..

तुम तो अद्वितीय, अप्रतिम..

हे ईश्वर..कई नामों वाले..

हर एक नाम से तुम्हें ..

जपता रहता है..

कहीं उड़ता नहीं मेरा मन..

तुम्हारे हृदय के द्वार पर.

ये बैठा रहता है..










ईश्वर ...

ईश्वर प्रथम श्वास..

ईश्वर अंतिम विश्वास...

मध्य में जो कुछ भी है,

है व्यर्थ का सब आभास ।।




ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....