ईश्वर ...

ईश्वर प्रथम श्वास..

ईश्वर अंतिम विश्वास...

मध्य में जो कुछ भी है,

है व्यर्थ का सब आभास ।।




No comments:

Post a Comment

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....