ईंट पत्थर मकान नहीं ..मेरा घर है ये..

ईंट पत्थर मकान नहीं ..

मेरा घर है ये..

मतलबी रिश्तों की तरह..

बेजान नहीं..।।

मेरा घर है ये..

किसी का आशीर्वाद है ये..

किसी का ये सपना है..

मेरे अपनों की बुनियाद है..

ये घर मेरा अपना है..

तुम्हारा कोई अहसान नहीं !!

मेरा घर है ये..

तुम आना सोच समझकर..

यदि नहीं उज्ज्वल ध्येय तुम्हारा..

किसी की घुटती इच्छाओं का..

उत्थान नहीं..

मेरा घर है ये..।।

चाहत होगी तुमको हमारी..मगर हमको तुम्हारी चाहत नहीं है..

चाहत होगी तुमको हमारी..
हमको तुम्हारी चाहत नहीं है..।
कल तक तुमको हमारी..
जरूरत नहीं थी..
आज हमको तुम्हारी..
जरूरत नहीं है..।
कभी चाहा था तुम्हें..
हृदय अचंभित आज भी है..
वो प्रणय निवेदन मेरा..
हालांकि विलंबित आज भी है..
मगर अब स्वीकृति तुम्हारी !!
खैर इसकी अब हमें हसरत नहीं है ।
रूप रंग कद काठी मेरी..
तुमको जो नहीं लुभावनी लगी..
अस्वीकरण का नहीं रोष मुझे…
पर पलट कर आना मेरी ओर..
आज इसकी इजाज़त नहीं है..।
चाहत होगी तुमको हमारी..
मगर हमको तुम्हारी चाहत नहीं है..।।

कर ना पकड़ो तुम मेरे..हृदय मेरा स्पर्श कर लो..

कर ना पकड़ो तुम मेरे..

हृदय मेरा स्पर्श कर लो..

बातें ना करो मोहक मोहक..

अलौकिक कोई विमर्श कर लो..

दिन रात के वही सब काम काज़..

कुछ तो आज सहर्ष कर लो..

दूर रहो तुम खड़े..

निहारें तुम्हें पल पल..

खुद को कोई वर्ष कर लो..

कोई ना स्वार्थ हो जहां..

पाने की ना हो चेष्टा.. 

आलंगित केवल प्रेम हो..

ऐसा भी कोई संघर्ष कर लो..

कर ना पकड़ो तुम मेरे..

हृदय मेरा स्पर्श कर लो..।।

प्रेम बहुत करते हैं तुमसे.. पर ये गायब हो जाएगा..

प्रेम बहुत करते हैं तुमसे..

गायब हो जायेगा पर ये..

अनायास यू छूने से..

देखकर जो तुमको चमक उठते हैं

आलिंगन के प्रयोजन में हो जाएंगे 

नयन मेरे सूने से..

तबीयत हमारी नहीं छुई मुई सी..

पर हृदय हमारा कोमल है..

ना चाहना जो संबंध हृदय के..

सस्नेह विदा ले लेना..

जाना बहुत करीने से..

प्रेम बहुत करते हैं तुमसे..

पर ये गायब हो जाएगा..

अनायास यूं छूने से..

तमाशा देखने वालों की कतार में शुमार हम भी हैं..

तमाशा देखने वालों की कतार में..

शुमार हम भी हैं..!!

हम ना सही कोई और बचा लेगा उसे..

इस गलतफहमी का शिकार हम भी हैं..!!

नफ़रत और रंज की दुनिया में..

कोई निर्णायक भूमिका न ले सके..

एक बिन धार की तलवार हम भी हैं..!!

झुका लेते हैं सर ..संघर्ष किए बिना..

नहीं करते प्रतिकार कोई..

क्या कहें..बहुत समझदार हम भी हैं..!!

मंज़िल की खोज में हैं..

रास्तों को रौंदते हुए..

बहुत कुछ पा लेने के..

तलबगार हम भी हैं!!

तमाशा देखने वालों की कतार में..

शुमार हम भी हैं..!!

मुस्कुरा कर तो देखो.. अपनों को पास बुलाकर तो देखो..

वो जो दूर दूर रहते हैं..
खुद में मशगूल रहते हैं..
उनको जाने भी दो अब..
खुद को यूं बोझिल ना करो..
गैरों की सी तासीर वाले वो..
उनकी अहमियत को ..
खुद में शामिल ना करो..
कितनी जबरदस्त मुस्कुराहट है तुम्हारी..
मुस्कुरा कर तो देखो..
अपने भी हैं आस पास 
बुलाकर तो देखो..
अशांत ना रहो..
रोशनी में आओ..
थोड़ा सा आंख ..
उठाकर तो देखो..
तुम खुद के लिए ..
बहुत बड़ी खुशी हो..
खुद को पाकर तो देखो..
किसी और की आस में जीना बंद करो..
खुल कर हंसो अब से..
सब लोग हसेंगे संग तुम्हारे..
तुम जो चलोगे पुलकित पुलकित..
सब लोग चलेंगे संग तुम्हारे..
आज ये शर्त लगाकर तो देखो..
थोड़ा सा मुस्कुरा कर तो देखो..
भीड़ से बाहर आकर तो देखो..
पहला कदम बढ़ा कर तो देखो..

चले जाएंगे हम..रोना ना तुम..तुमको हमारी कसम है..

चले जाएंगे हम,

रोना ना तुम..

तुमको हमारी कसम है..

ये मौत क्या है.. 

कुछ भी नहीं है ..

मौत तो आखिर होनी ही है ..

फिर तुमको काहे का गम है..

कौन कहता है कि मिलते नहीं,

लोग जुदा होके,

हम फिर मिलेंगे..

ये यकीन है हमारा..

नहीं ये भरम है..

चले जाएंगे हम..

रोना ना तुम..

तुमको हमारी कसम है..

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....