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ईंट पत्थर मकान नहीं ..मेरा घर है ये..

ईंट पत्थर मकान नहीं ..

मेरा घर है ये..

मतलबी रिश्तों की तरह..

बेजान नहीं..।।

मेरा घर है ये..

किसी का आशीर्वाद है ये..

किसी का ये सपना है..

मेरे अपनों की बुनियाद है..

ये घर मेरा अपना है..

तुम्हारा कोई अहसान नहीं !!

मेरा घर है ये..

तुम आना सोच समझकर..

यदि नहीं उज्ज्वल ध्येय तुम्हारा..

किसी की घुटती इच्छाओं का..

उत्थान नहीं..

मेरा घर है ये..।।

अपना घर एक मंदिर है..

अपना घर एक मंदिर है..

जो भी आए स्वागत है..

हृदय में स्नेह लिए..

अपनेपन का ध्येय लिए..

स्वागत है..स्वागत है..

जो द्वार से ही..

नमस्कार कर ले..

उसका भी स्वागत है..

जो पास आकर..

हाल सुनाए..

उसका भी स्वागत है..

देहरी छूने वाले भी ..

अभिनंदित हैं..

हृदय में जो बस जाए..

उसका भी स्वागत है..

आए मन में भेद लिए..

कुटिल कुटिल जो मुस्काए।

उसका भी स्वागत है..

हमारे हित का सोचे..

और सच्चा मीत कहाए..

उसका भी स्वागत है..

अपना घर एक मंदिर है..

जो भी आए स्वागत है..

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....