मुस्कुरा कर तो देखो.. अपनों को पास बुलाकर तो देखो..

वो जो दूर दूर रहते हैं..
खुद में मशगूल रहते हैं..
उनको जाने भी दो अब..
खुद को यूं बोझिल ना करो..
गैरों की सी तासीर वाले वो..
उनकी अहमियत को ..
खुद में शामिल ना करो..
कितनी जबरदस्त मुस्कुराहट है तुम्हारी..
मुस्कुरा कर तो देखो..
अपने भी हैं आस पास 
बुलाकर तो देखो..
अशांत ना रहो..
रोशनी में आओ..
थोड़ा सा आंख ..
उठाकर तो देखो..
तुम खुद के लिए ..
बहुत बड़ी खुशी हो..
खुद को पाकर तो देखो..
किसी और की आस में जीना बंद करो..
खुल कर हंसो अब से..
सब लोग हसेंगे संग तुम्हारे..
तुम जो चलोगे पुलकित पुलकित..
सब लोग चलेंगे संग तुम्हारे..
आज ये शर्त लगाकर तो देखो..
थोड़ा सा मुस्कुरा कर तो देखो..
भीड़ से बाहर आकर तो देखो..
पहला कदम बढ़ा कर तो देखो..

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....