ईंट पत्थर मकान नहीं ..मेरा घर है ये..

ईंट पत्थर मकान नहीं ..

मेरा घर है ये..

मतलबी रिश्तों की तरह..

बेजान नहीं..।।

मेरा घर है ये..

किसी का आशीर्वाद है ये..

किसी का ये सपना है..

मेरे अपनों की बुनियाद है..

ये घर मेरा अपना है..

तुम्हारा कोई अहसान नहीं !!

मेरा घर है ये..

तुम आना सोच समझकर..

यदि नहीं उज्ज्वल ध्येय तुम्हारा..

किसी की घुटती इच्छाओं का..

उत्थान नहीं..

मेरा घर है ये..।।

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....