प्रेम बहुत करते हैं तुमसे.. पर ये गायब हो जाएगा..

प्रेम बहुत करते हैं तुमसे..

गायब हो जायेगा पर ये..

अनायास यू छूने से..

देखकर जो तुमको चमक उठते हैं

आलिंगन के प्रयोजन में हो जाएंगे 

नयन मेरे सूने से..

तबीयत हमारी नहीं छुई मुई सी..

पर हृदय हमारा कोमल है..

ना चाहना जो संबंध हृदय के..

सस्नेह विदा ले लेना..

जाना बहुत करीने से..

प्रेम बहुत करते हैं तुमसे..

पर ये गायब हो जाएगा..

अनायास यूं छूने से..

तमाशा देखने वालों की कतार में शुमार हम भी हैं..

तमाशा देखने वालों की कतार में..

शुमार हम भी हैं..!!

हम ना सही कोई और बचा लेगा उसे..

इस गलतफहमी का शिकार हम भी हैं..!!

नफ़रत और रंज की दुनिया में..

कोई निर्णायक भूमिका न ले सके..

एक बिन धार की तलवार हम भी हैं..!!

झुका लेते हैं सर ..संघर्ष किए बिना..

नहीं करते प्रतिकार कोई..

क्या कहें..बहुत समझदार हम भी हैं..!!

मंज़िल की खोज में हैं..

रास्तों को रौंदते हुए..

बहुत कुछ पा लेने के..

तलबगार हम भी हैं!!

तमाशा देखने वालों की कतार में..

शुमार हम भी हैं..!!

मुस्कुरा कर तो देखो.. अपनों को पास बुलाकर तो देखो..

वो जो दूर दूर रहते हैं..
खुद में मशगूल रहते हैं..
उनको जाने भी दो अब..
खुद को यूं बोझिल ना करो..
गैरों की सी तासीर वाले वो..
उनकी अहमियत को ..
खुद में शामिल ना करो..
कितनी जबरदस्त मुस्कुराहट है तुम्हारी..
मुस्कुरा कर तो देखो..
अपने भी हैं आस पास 
बुलाकर तो देखो..
अशांत ना रहो..
रोशनी में आओ..
थोड़ा सा आंख ..
उठाकर तो देखो..
तुम खुद के लिए ..
बहुत बड़ी खुशी हो..
खुद को पाकर तो देखो..
किसी और की आस में जीना बंद करो..
खुल कर हंसो अब से..
सब लोग हसेंगे संग तुम्हारे..
तुम जो चलोगे पुलकित पुलकित..
सब लोग चलेंगे संग तुम्हारे..
आज ये शर्त लगाकर तो देखो..
थोड़ा सा मुस्कुरा कर तो देखो..
भीड़ से बाहर आकर तो देखो..
पहला कदम बढ़ा कर तो देखो..

चले जाएंगे हम..रोना ना तुम..तुमको हमारी कसम है..

चले जाएंगे हम,

रोना ना तुम..

तुमको हमारी कसम है..

ये मौत क्या है.. 

कुछ भी नहीं है ..

मौत तो आखिर होनी ही है ..

फिर तुमको काहे का गम है..

कौन कहता है कि मिलते नहीं,

लोग जुदा होके,

हम फिर मिलेंगे..

ये यकीन है हमारा..

नहीं ये भरम है..

चले जाएंगे हम..

रोना ना तुम..

तुमको हमारी कसम है..

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खुशियां हों बहारें हों ..आपकी ज़िन्दगी में..

खुशियां हों.. बहारें हों..

आपकी ज़िन्दगी में..

चमकते सितारें हों..

आपकी ज़िन्दगी में..

हम तो अकेले हैं..

अकेला है सफर हमारा..

यूं ही कट जाएगा..

ये रास्ता सारा..

हजारों सहारें हों..

आपकी ज़िन्दगी में..

कभी कोई ग़म ना आए..

आपको रुलाने के लिए..

ना कभी नयन खारे हों..

आपकी ज़िन्दगी में..

मेरी बात तुम्हें सिर्फ एक बात लगती है..बस इतनी पहचान क्यूं??

मेरी बात तुम्हें सिर्फ..

एक बात लगती है!!

मेरी बात की बस ..

इतनी पहचान क्यों??

हो सकता है तुम्हें.. 

भी वहीं जाना हो..

जहां मुझे जाना है..

दो कदम जिंदगी में..

अकेली उड़ान क्यूं..??

क्यूं चल रहे हो..

औरों को कुचलकर??

धर्म कर्म के रखवाले तुम..!!

अधर्म का करते इतना मान क्यूं??

परस्पर हैं..काम काज़ सब अपने..

फेरे में हैं.. ये दिन आज अपने..

एक दूसरे पर व्यर्थ का अहसान क्यूं ??


बादलों की औकात नहीं इतनी.. कि सूरज को निकलने की हिम्मत ना रहे...

बादलों की औकात नहीं इतनी..
सूरज को निकलने की हिम्मत ना रहे..
मुश्किलों की बिसात नहीं इतनी..
झेलने की उनको ताकत ना रहे..
बहुत बेतकल्लुफ़ हैं..
ज़िन्दगी के वाकयात भी..
क्योंकर सोचें हम..
कि ये हालत ना रहे..
बीतने के लिए ही हैं..
ये दिन महीने साल..!
रुकते भी नहीं ये किसी हाल..
तो फिर क्यों भला..
यूं भी हर बात से..
हमें उल्फत ना रहे.।।

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....