आज चले आते हैं वो ..
मखमली पहल बनकर..!
जिनकी कोशिश थी कभी..
ढहा देंगे मेरे सपनों के महल..
तूफानी कहर बन कर..!
लेकिन कुछ ऐसे निकले..
मेरी किस्मत के सितारे..
रह गए मंसूबे उनके..
बस बेअसर बन कर..!
बुरा भला किसी का.
तासीर में नहीं हमारी..
मिटे नहीं सूरत में किसी..
देख चुके वो..
जहर बन कर..!
अचरज है मुझे..
क्यूकर बदल जाते हैं !
इंसान अपनी ही धुन से
पलट जाते हैं..!
चलो देखा यूं भी दुनिया को..
दुश्मन कभी ..
कभी सहचर बन कर..!!