कोई कोना हो हृदय का खाली थोड़ा बहुत...
समाहित कर लेना...मेरा अभिवादन..धन्यवाद..
यदि ना हो..तो अविरल धारा बना देना..।
मैं जो ऋणी हूं आपकी..मेरे जुड़े हुए हाथ आपको..
अपने करो को जोड़कर किसी का ऋण चुका देना..।
ऐसे ही हर भावना..जुड़ती जाए अनंत तक..
पहुंचे सुदूर..पूरे गगन में प्रसार हो..
मेरा प्रणाम आपको..मेरा श्री राम आपको..
जिस से मिलो उसको श्री राम का उदघोष सुना देना..
मेरी मुस्कान का स्रोत महादेव का आलय है..
जीवंतता मेरे हृदय की ..उनका ही प्रशय है..
मेरी मुस्कान को समझना संदेश शांति और प्रेम का..
आए जो भी सामने..मिलकर मुस्कुरा देना..।।