अब तो प्रेम नहीं है..
सुकून कहीं खो गया है..
सुकून कहीं खो गया है..
अजनबी सा हो गया है ..।
खुद से भी मिलते कम हैं ..
एहसासों से अनजान हम हैं।
आगे बढ़ते जाने की धुन में ..
कुछ दिखाई नहीं पड़ता है..।
आ भी जाए कोई पग के नीचे..
तो भी मौन से चलते रहते हैं..।
चीख आह सुनाई नहीं देते हैं..
बस दूसरों को कुचलते रहते हैं..।
फिर चीख चीख कर रोते भी खूब हैं..।
दोस्ती रिश्तेदारी को मिटा देते हैं..
दुश्मनों में फिर खोजते महबूब हैं..!!!!
तुम अभी गुज़रे कहां हो !!
तुम अभी गुज़रे कहां हो छलावे से..
जब गुजरना तब बताना..कैसा था !
खत्म हो गया बड़ी आसानी से जो
वो प्यार बस क्या दिखावे जैसा था..!!
तुमसे तो वो भी ना हुआ..जिसमे सवाल हो...
कैसा था..कौनसा था..जरूर कोई मलाल हो..
तुम रहने दो ये खोज बीन करना..प्यार की
ठगी ठगी सी बातें तुमसे ना फिलहाल हो..
ऐसा है ..रहने दो प्यार का पाठ पढ़ाना..
हम थे जैसे..तुम थे जैसे..ये नहीं वैसा था..
प्यार तो मिथ्या हो गया..वैसा भी ना हुआ..
अपने में कभी ...जैसा था..!!!!!!!!!!!!!
ना चले जाना तुम..
ना चले जाना तुम ..
कि ज़िन्दगी स्याह हो जाए..।
तुम्हारे बाद तो कोई दूसरा नहीं है..।
विचलित बहुत हृदय जब हुआ..
मांगा ईश्वर से तब तुमको..
किसी और के पदचिन्हों से..
ये मन खुद से चहका तो नहीं है..।
प्रणय के आश्रय तुम्हीं हो..
जीवन की तुम्हीं इत्तिला हो..
मैंने जो इमारत बनाई सपनों की..
तुम्हीं उसकी आधारशिला हो..।
और किसी को मैंने वरा तो नहीं है..।।
आज परम अहसास हुआ..
मैं नया जन्म लूंगी..
मैं नया जन्म लूंगी..
उम्र ढल रही है..
मैं ना ढलूंगी..
नया जन्म लूंगी..
बचपन बीत गया..
लेकिन है स्मृति में..
वो खेलता हुआ..
कोमल हृदय नया नया..
फिर स्फूर्ति भरूंगी..
नया जन्म लूंगी..
बढ़ता हुआ कद..
विस्तृत होते पद..
प्रेम के सरोवर..
भरे हुए नैन मेरे..
फिर प्रिय को वरूंगी..
नया जन्म लूंगी..
बचपन फिर खेलेगा कोई..
हृदय पुष्प वो मेरा..
वर्तमान को सजाएगा..
वो भविष्य मेरा..
फिर अनमोल रत्न जनूंगी..
नया जन्म लूंगी..
आ जाएगा फिर यही समय..
संध्या का..
लेकिन मैं करूंगी
आगाज़ फिर नए ..
जीवन का..
मैं ना मिटूंगी..
नया जन्म लूंगी..
मैं नया जन्म लूंगी..।।
किस्मत की कमान टूट भी जाए तो क्या..
किस्मत की कमान टूट भी जाए तो क्या..
तरकश में तीर उम्मीदों के रखना,
धनुष बनाना कोई नया..अपनी धुन का..
और तीर प्रत्यंचा पर कसना..
भेद देना लक्ष्य जीवन का..।
तुमको शुभकामनाएं ..नए समर की..
नए जीवन की......वैभवी उमर की..।
मुझे आशीर्वाद बना कर रखना..
मां हूं मैं तुम्हारी..बहन या कोई साथी..
बस विजय ही तुम्हारी चाहती..।।।
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....
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जो बंदिशे नहीं होंगी.. निश्चल प्रेम भी नहीं होगा..। मिलन में कोई मतलब हो सकता है.. ना मिले ..और प्रेम हो जाय सदा के लिए.. बस वही तो मन का प्...
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खूबसूरत..नहीं थी मैं.. तुम भी मनोहर नहीं थे..। साथ में आए तो.. नयन मेरे चमकने लगे.. तुम भी मुस्कुराने लगे..। और साथ चले जब.. जीवनसाथी बनकर.....