सुकून कहीं खो गया है..

सुकून कहीं खो गया है..

अजनबी सा हो गया है ..।

खुद से भी मिलते कम हैं ..

एहसासों से अनजान हम हैं।

आगे बढ़ते जाने की धुन में ..

कुछ दिखाई नहीं पड़ता है..।

आ भी जाए कोई पग के नीचे..

तो भी मौन से चलते रहते हैं..।

चीख आह सुनाई नहीं देते हैं..

बस दूसरों को कुचलते रहते हैं..।

फिर चीख चीख कर रोते भी खूब हैं..।

दोस्ती रिश्तेदारी को मिटा देते हैं..

दुश्मनों में फिर खोजते महबूब हैं..!!!!

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया।
    आपका ब्लॉग अच्छा लगा इस पर सक्रिय बने रहिएगा।

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  2. सुंदर शब्द पुष्प💐💐🙏

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  3. बहुत सुंदर ।

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  4. आजकल लोग दोस्ती रिश्तेदारी को मिटा दे ते हैं
    दुश्मनों मैं अपनापन खोजते हैं
    शत प्रतिशत

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....