तुम अभी गुज़रे कहां हो !!

तुम अभी गुज़रे कहां हो छलावे से..

जब गुजरना तब बताना..कैसा था !

खत्म हो गया बड़ी आसानी से जो

वो प्यार बस क्या दिखावे जैसा था..!!

तुमसे तो वो भी ना हुआ..जिसमे सवाल हो...

कैसा था..कौनसा था..जरूर कोई मलाल हो..

तुम रहने दो ये खोज बीन करना..प्यार की

ठगी ठगी सी बातें तुमसे ना फिलहाल हो..

ऐसा है ..रहने दो प्यार का पाठ पढ़ाना..

हम थे जैसे..तुम थे जैसे..ये नहीं वैसा था..

प्यार तो मिथ्या हो गया..वैसा भी ना हुआ..

अपने में कभी ...जैसा था..!!!!!!!!!!!!!

ना चले जाना तुम..

ना चले जाना तुम ..

कि ज़िन्दगी स्याह हो जाए..।

तुम्हारे बाद तो कोई दूसरा नहीं है..।

विचलित बहुत हृदय जब हुआ..

मांगा ईश्वर से तब तुमको..

किसी और के पदचिन्हों से..

ये मन खुद से चहका तो नहीं है..।

प्रणय के आश्रय तुम्हीं हो..

जीवन की तुम्हीं इत्तिला हो..

मैंने जो इमारत बनाई सपनों की..

तुम्हीं उसकी आधारशिला हो..।

और किसी को मैंने वरा तो नहीं है..।।

आज परम अहसास हुआ..

आज परम अहसास हुआ..
दो बातें हुई जुड़ी हुईं..
मैं खुश रहना जो चाहूं..
पहले सुरक्षित करनी होगी..
दूसरों की खुशी..
मेरा घर पहुंचना ..
सुकून घर का..
और लोग भी पा लें..
घोंसला मन का..
मन मेरा होगा पुलकित..
महफूज़ करनी होगी..
पहले औरों की भी हंसी..

मैं नया जन्म लूंगी..

मैं नया जन्म लूंगी..

उम्र ढल रही है..

मैं ना ढलूंगी..

नया जन्म लूंगी..

बचपन बीत गया..

लेकिन है स्मृति में..

वो खेलता हुआ..

कोमल हृदय नया नया..

फिर स्फूर्ति भरूंगी..

नया जन्म लूंगी..

बढ़ता हुआ कद..

विस्तृत होते पद..

प्रेम के सरोवर.. 

भरे हुए नैन मेरे..

फिर प्रिय को वरूंगी..

नया जन्म लूंगी..

बचपन फिर खेलेगा कोई..

हृदय पुष्प वो मेरा..

वर्तमान को सजाएगा..

वो भविष्य मेरा..

फिर अनमोल रत्न जनूंगी..

नया जन्म लूंगी..

आ जाएगा फिर यही समय..

संध्या का..

लेकिन मैं करूंगी

आगाज़ फिर नए ..

जीवन का..

मैं ना मिटूंगी..

नया जन्म लूंगी..

मैं नया जन्म लूंगी..।।

किस्मत की कमान टूट भी जाए तो क्या..

किस्मत की कमान टूट भी जाए तो क्या..

तरकश में तीर उम्मीदों के रखना,

धनुष बनाना कोई नया..अपनी धुन का..

और तीर प्रत्यंचा पर कसना..

भेद देना लक्ष्य जीवन का..।

तुमको शुभकामनाएं ..नए समर की..

नए जीवन की......वैभवी उमर की..।

मुझे आशीर्वाद बना कर रखना..

मां हूं मैं तुम्हारी..बहन या कोई साथी..

बस विजय ही तुम्हारी चाहती..।।।

किसी के मन में मेरा भी कोई बसर हो..

किसी के मन में मेरा भी कोई बसर हो..

किसी की बातों में मेरी भी कोई खबर हो..।

उसकी आंखो में मेरे लिए कोई ललक हो..

चेहरे पर उसकी..मेरी मुस्कुराहट का असर हो..।

साथ बैठकर मन की कुछ बातें करे कोई..

अपनी भी कहे मन की..मेरी भी सुने कोई..।

ठहर कर बातें जम सी गईं है मन में..

रास्ता खुले बातों का..अबाध सफर हो..।

हां, कुछ ऐसा वक्त आया तो था..

किसी की मौजूदगी ने मन को लुभाया तो था..।

रुक क्यों नहीं पाया , मन ने अपनाया तो था..

उठ गए दोनों..बातें बीच में छोड़कर ..किसी शोर में..

सुन ना सके..एक दूसरे को..किसी और के विभोर में ।

बिछड़ जो गए..ऐसी भी ना कोई अंध लहर हो..।

चलो जोड़ लो..फिर से मन के फासले मिटा लो..।

धूप में बैठो उसी तरह फिर.. बातों को संभाल लो..

कोई अनमनी सुबह ना हो अब..ना कोई ऐसी दोपहर हो..।।

पहला कौर बहुत बढ़िया लगता है

पहला कौर बहुत बढ़िया लगता है..

शून्य से कुछ ऊपर उठना..

दरिया लगता है..।

जिन्दगी में कुछ खोकर भी..

पाकर सुकून भरा कुछ..

जीने का जरिया लगता है..।

है सब कुछ एक ही जैसा..

बदलती नहीं सूरत कोई..

पाओगे तुम वैसा ही..

देखने का बस नजरिया लगता है..।

बहुत चाहत थी कि..

एक दिन स्वप्निल ही हो जाऊं..

जीवन हो आनंदित केवल..

स्वर्णिम दिन बिताऊं..

संतोष की एक बूंद ..लेकिन

तृप्त जीवन की वास्तविक..

परिचर्या लगता है.. ।।

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....