पहला कौर बहुत बढ़िया लगता है..
शून्य से कुछ ऊपर उठना..
दरिया लगता है..।
जिन्दगी में कुछ खोकर भी..
पाकर सुकून भरा कुछ..
जीने का जरिया लगता है..।
है सब कुछ एक ही जैसा..
बदलती नहीं सूरत कोई..
पाओगे तुम वैसा ही..
देखने का बस नजरिया लगता है..।
बहुत चाहत थी कि..
एक दिन स्वप्निल ही हो जाऊं..
जीवन हो आनंदित केवल..
स्वर्णिम दिन बिताऊं..
संतोष की एक बूंद ..लेकिन
तृप्त जीवन की वास्तविक..
परिचर्या लगता है.. ।।