कहीं उड़ता नहीं मेरा मन..
तुम्हारे हृदय के द्वार पर ..
ये बैठा रहता है..
कभी जो खुलेंगे द्वार..
दर्शन को तुम्हारे..
वो क्षण सोचा करता है..
मैं तो नश्वर,
मात्र एक किश्वर..
हूं मैं तो सदा से अश्वर..
तुम तो अद्वितीय, अप्रतिम..
हे ईश्वर..कई नामों वाले..
हर एक नाम से तुम्हें ..
जपता रहता है..
कहीं उड़ता नहीं मेरा मन..
तुम्हारे हृदय के द्वार पर.
ये बैठा रहता है..
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