शांति, अमन, चैन...
ईश्वर व्याप्ति का आधार ।।
मुस्कान, अधर का प्रतीक निरंतर..
जब तक शांति का प्रसार..
सुंदरता जीवन की अविरल
जब तक द्वेष ..ना बने विचार ।।
बल ..असीम और अटूट..
जब तक हृदय में विश्वास..
विश्वास के सारे उपक्रम..
ईश्वर रूप का अभिप्राय..।।
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....
No comments:
Post a Comment