अपने शहर का हाल बताओ..क्या हाल हैं?

 मेरे शहर में धुंध है..

और और कई सवाल हैं...

अपने शहर का हाल बताओ..

उधर क्या हाल हैं ??

व्यस्त हैं सभी..अलग अलग ..

अलग अलग सबके ख्याल हैं..

तुम्हारे उधर क्या हाल चाल हैं??

मैं असमंजस में हूं..

प्रेम करूं स्वयं से ही..

या औरों से भी लौ लगाऊं..

यही सब छोटे मोटे..

यहां बवाल हैं..

तुम बताओ ..

कैसे मिज़ाज ..उधर..

हाल फिलहाल हैं ??

इंजन कोई..

कोई डिब्बा रेल का..

हिस्सा हैं सभी..

एक चलते हुए खेल का..

कुछ हैं ..बहुत आराम से..

कुछ खस्ताहाल हैं..

तुम बताओ उधर..

रफ़्तार की क्या चाल है ??

मेरे शहर में धुंध है..

और कई सवाल हैं.........

…..........…....................!!!!!

2 comments:

  1. जैसा उधर हाल है ऐसा ही इधर हाल है..👌👍💐😊

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  2. बहुत ही सुंदर भावना से और सुन्दर सी रचना हैं आपकी !

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....