अपना घर एक मंदिर है..

अपना घर एक मंदिर है..

जो भी आए स्वागत है..

हृदय में स्नेह लिए..

अपनेपन का ध्येय लिए..

स्वागत है..स्वागत है..

जो द्वार से ही..

नमस्कार कर ले..

उसका भी स्वागत है..

जो पास आकर..

हाल सुनाए..

उसका भी स्वागत है..

देहरी छूने वाले भी ..

अभिनंदित हैं..

हृदय में जो बस जाए..

उसका भी स्वागत है..

आए मन में भेद लिए..

कुटिल कुटिल जो मुस्काए।

उसका भी स्वागत है..

हमारे हित का सोचे..

और सच्चा मीत कहाए..

उसका भी स्वागत है..

अपना घर एक मंदिर है..

जो भी आए स्वागत है..

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....