सुकून कहीं खो गया है..
अजनबी सा हो गया है ..।
खुद से भी मिलते कम हैं ..
एहसासों से अनजान हम हैं।
आगे बढ़ते जाने की धुन में ..
कुछ दिखाई नहीं पड़ता है..।
आ भी जाए कोई पग के नीचे..
तो भी मौन से चलते रहते हैं..।
चीख आह सुनाई नहीं देते हैं..
बस दूसरों को कुचलते रहते हैं..।
फिर चीख चीख कर रोते भी खूब हैं..।
दोस्ती रिश्तेदारी को मिटा देते हैं..
दुश्मनों में फिर खोजते महबूब हैं..!!!!
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteआपका ब्लॉग अच्छा लगा इस पर सक्रिय बने रहिएगा।
सुंदर शब्द पुष्प💐💐🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteआजकल लोग दोस्ती रिश्तेदारी को मिटा दे ते हैं
ReplyDeleteदुश्मनों मैं अपनापन खोजते हैं
शत प्रतिशत