स्वीकृति अस्वीकृति चलती रहती है..
बात इतनी है कि बात.. बदलती रहती है..!!
कभी होती है तपती दोपहर अपनी..
कभी शाम किसी की जलती रहती है..।
किस बात का लुफ्त लेते हो दूसरों के हालातों में..
आज हमारी कल तुम्हारी बारी है साहब..
सबकी तहरीर बदलती रहती है..।
रखते हैं तलवार सभी..
खंजर सबके पास है..
किस भ्रम में जीते हो..!!
चुप रहते है लेकिन..
आग तो हृदय में सुलगती रहती है..
बात इतनी है कि बात बदलती रहती है.. ।
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