जो चाहे अर्थ लगा लो..

मेरी बातों में तो हैं बातें कई..

चाहे जो अर्थ लगा लो..

तुम जैसे  हो..

वैसा ही अर्थ पाओगे..

निर्भर है तुम पर ही.. 

अब जो भी अर्थ निकालो..

अर्थ भी मै हो सकती हूं..

अर्थ का आधार भी...

पर समर्थ तुम ही हो..

चाहे जैसे मुझे संभालो..।

अर्थहीन भी..

क्या पता मेरा ..

ख्याल हो..

पर सब तर्क तुम्हीं हो..

असमंजस से मुझे बचा लो..!!!!!














2 comments:

  1. सही कहा
    कई बार अर्थ हम अपनी मनोदशा के अनुसार लगाते हैं

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  2. तुम जैसे हो, वैसा ही अर्थ पाओगे । बहुत अच्छी और बहुत सच्ची अभिव्यक्ति

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....