ना चले जाना तुम ..
कि ज़िन्दगी स्याह हो जाए..।
तुम्हारे बाद तो कोई दूसरा नहीं है..।
विचलित बहुत हृदय जब हुआ..
मांगा ईश्वर से तब तुमको..
किसी और के पदचिन्हों से..
ये मन खुद से चहका तो नहीं है..।
प्रणय के आश्रय तुम्हीं हो..
जीवन की तुम्हीं इत्तिला हो..
मैंने जो इमारत बनाई सपनों की..
तुम्हीं उसकी आधारशिला हो..।
और किसी को मैंने वरा तो नहीं है..।।
मर्म तक उतर आए हैं गूढ़ भाव ।
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