दिलचस्पी..

 दिलचस्पी...दूसरो की बातो मे !

दिलचस्पी..दूसरो के हालातों में !

दिलचस्पी..है क्या कोई कर रहा ..

दिलचस्पी..कोई क्यों बढ़ रहा..

दिलचस्पी..कोई गिरा क्यों नहीं..

दिलचस्पी..कोई आपात उसपर पड़ा क्यों नहीं..

दिलचस्पी है हर उस बात में..

दूसरो के पतन,आघात में..

दिलचस्पी..नहीं जीवन की सुन्दरता में,

दिलचस्पी है ..नश्वर उन्मादित खयालात में..

दिलचस्पी के आंकड़े बड़े बड़े है..

पर वो नहीं सत्य पर खड़े हुए है..

दिलचस्पी जो हो खुद के ..

खुद के प्रश्न चिह्न में..

दूसरों के प्रति ऋण में..

परोपकार ;सरोकार में

केवल खुद के व्यापार में..

दिलचस्पी के मायने बदल जो जाएं...

तुम भी हंस सको खुल कर फिर..

हम भी थोड़ा मुस्कुराए !!!









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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....