क्या बाकी रह गया..

क्या बाकी रह गया ,

क्या कुछ हासिल हो गया !!

जब चले समेट कर ;

सब कुछ हमेशा के लिए..

हमेशा के लिए ...

सब बाकी रह गया !!

ना वक़्त ने बचाया कुछ , 

ना वक़्त ने गवाया कुछ..

हिसाब किताब ज़िन्दगी का..

लगाते रहे हम  ..

इधर ना था कुछ, 

उधर भी ना कुछ..

मुक़ाबिल रह गया !!

क्या बाकी रह गया, 

क्या कुछ हासिल हो गया !!



1 comment:

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....