मानसिकता

एक सहकर्मी है हमारे ,दो लड़कियां हैं उनकी
आज भी उनका मानना है कि लड़कियों को
वश में रहना चाहिए..मै सोच रही थी ,,वश में
रहना है क्या आखिर?
किसी को वश में करना ही क्यूं है ?
जीवन सुंदर है...
सभी अपने वश में रहे तो कितना अच्छा हो.
परवश तो हीनता को जन्म देता है..
किसी को बलवान किसी को कमजोर बनाता है..
आज अगर मानसिकता ना बदली तो पुरुष समाज 
अपनी बहन बेटियो के साथ कभी न्याय नहीं कर पाएगा और स्त्री समाज खुद की रक्षा !

1 comment:

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....