दोस्त मेरे...मेरे जीवनसाथी

दोस्त मेरे..मेरे जीवनसाथी..

हैं तो यूं कई रिश्ते तुमसे..

पर दोस्ती का एहसास तुमसे ..

हर रिश्ते से बढ़कर चाहती..।

मेरी बातों को वरा जब तुमने..

और सहज संसार बने..।

पति तो रिश्ता औपचारिक था..

दोस्त बने जब,अलौकिक सा प्यार बने..।

किलकारियों ने जोड़े रिश्ते ..

एक नया अनुभव आया..।

जिम्मेदारियों को साझा किया हमने..

तुमने तथाकथित परंपरा कह कर..

नहीं मदद से कभी जी चुराया..।

नई परम्परा नए संदर्भ जब तुमने दिए..

परमेश्वर तो आवश्कता वश थे तुम..

मित्रवत हुए तो..हृदयेश्वर बने..।

जब जब तुम कोमल हुए..

और सशक्त मुझे किया..।

बन गए तुम उस उस पल..

हर जन्म के मनचाहे पिया..।।

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया। आप दोनों का साथ ऐसे ही हमेशा बना रहे।

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  2. सादर प्रणाम मित्रवर ................

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  3. अलौकिक आभा से आलोकित हो रही है । अति सुन्दर ।

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  4. आप सभी का धन्यवाद..

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  5. ख़ुशकिस्मत हैं आप । आप दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रहे ।

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  6. बहुत सुंदर बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....