यूं तो होते हैं हर गली में शायर दो चार...
मगर जो दिल की बात सुन ले..
वो ही मशाल ए दयार है..
मसले बहुत से हैं..
शब्दों में पिरोना बात नहीं कोई.
हाथों में ले ले बात..
वही खालिस यलगार है..
वो ही मशाल ए दयार है।
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....
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