तुम किचन तक चले आते हो..
इतना ही बहुत है..
कर नहीं पाते मदद पूरी..
आटा गूंधने में पानी जो गिराते हो..
इतना ही बहुत है..
चाय जो मैं बनाती हूं..
छानकर जो तुम ले जाते हो..
इतना ही बहुत है..
सब्जी काटते हैं जब हम..
लहसुन जो छिलाते हो..
इतना ही बहुत है..
खाना जब बन जाता है..
सबको जो परोस आते हो..
इतना ही बहुत है..
मेरे साथ मिलकर….
अंत में खाना जो खाते हो..
इतना ही बहुत है..
लोगों के निरर्थक व्यंग पर..
हस कर टाल जाते हो..
इतना ही बहुत है..
तुम जो एक नई उम्मीद जगाते हो..
बहुत है 💛💛बहुत है💛💛बहुत है💛💛..
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मेरे बच्चे ..मेरे भाइयों ..मेरे पापाजी ..
और मेरे पति जी..सभी को धन्यवाद ...........
Thanks 😌
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