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कोई होता जो....


कोई होता जो बातो के पुलिंदे बनाता,
एक किताब लिख डा लते ,
जो वो लिखना सिखाता
जीवन में कोई मुकम्मल शाम होती 
कोई दिन खुशनुमा सा आता
बैठते साथ में
लड़ाई झगड़े नहीं होते
हाथ तो दुनियादारी की चीज है
मन से मन मिल जाता
मन जैसा कुछ होता 
बातों का सिलसिला बस मन ही बन जाता

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....