Showing posts with label नारी. Show all posts
Showing posts with label नारी. Show all posts

इंचो में मैं नापी जाती हूं..तरह तरह से मैं आंकी जाती हूं..

इंचो में नापी जाती हूं..
आंखो से मैं कई..
आंकी जाती हूं..
चलाकर मैं परखी जाती हूं..
मां बाप का बोझ उतरने को..
कैसे कैसे मैं !!
देखी जाती हूं..!
कैसे कैसे मैं !!
ताकी जाती हूं..!
ये लड़की दिखाई नहीं..
अपराध बोध सा लगता है..
लड़की होने के एवज में..
मैं लगता है..मात्र !
एक अपराधी हूं !!
सवाल कई पूछे जाते हैं..
तंज भी मारे जाते हैं..
निर्णय पर यदि पहुंचे तो..
दाम हमारे तय होते हैं..!!
नए संबंधो की हामी में..
हम तो सिर्फ विलय होते हैं..!!
…..............................................
....…..........................................
स्वालंबी यदि नारी हो..
इतनी ना वो बेचारी हो..
बोझ ना लगे मां पिता को..
निर्णयों में उसकी हिस्सेदारी हो..
शिक्षा, सुरक्षा स्वालंबन..
ये वो गहने हो मां बाप के..
रखते हैं संजो के जिसे..
बेटी के जन्म से उसके..
भविष्य के लिए..
विलय नहीं उत्थान हो..
कन्यादान का अभिप्राय बदलो..
ताकि कन्याओं का कल्याण हो..।।

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....