उस असर में क्यों रहना !!
जो खुद का असर ..
बेअसर कर दे.. ।।
खुद की कही बात ..
दूसरों के सर कर दे..।।
बेईमानी तो आसान है बहुत..
इतना भी सरल क्या जीना !
कि ज़िन्दगी यूं ही बसर कर दें !!
चाहे जैसे जिओ..
मगर किसी से उलझ कर नहीं..
सीधी भी सड़क जाती है!!
बेवजह क्यों मुसाफिरों को ..
इधर उधर कर दें !!
महफूज़ रहोगे हमेशा..
ज़िन्दगी रही ना रही..
ये काया छोड़कर ...बस
रूह के लिए उमर कर दे ।।