नाम...

नाम के लिए मरते हैं ये.

नाम के लिए मरते हैं वो..

मगर नाम की गति यही है..

नाम का बटवारा हो जाता है !!

नाम की गहराई खोखली है..

या कि उचाई असीम है..

लेकिन ये तो निश्चित है ..

नाम भी बेसहारा हो जाता है..!!

रंजित कल्पना कह के..मेरी !

नाम के गुणगान कर लेना ..

लेकिन पाओगे तुम भी..

कि नाम कभी मेरा..

कभी तुम्हारा हो जाता है..!!

नामों के मतलब कुछ..

बतलाते जरूर होंगे..

नाम से कुछ प्रतिमान ..

जाने जाते जरूर होंगे..

हर कहानी का शीर्षक भर है नाम..

जिसका एक अंत प्यारा हो जाता है..!!

14 comments:

  1. बहुत सुंदर!! नाम पर ये रोचक चिंतन बढिया है अर्पिता जी। हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏🙏🙏

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 26-02-2021) को
    "कली कुसुम की बांध कलंगी रंग कसुमल भर लाई है" (चर्चा अंक- 3989)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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  3. आपकी अभिव्यक्ति के मर्म को समझने का प्रयास कर रहा हूं अर्पिता जी । वैसे आपकी यह बात बहुत अच्छी है कि जो भी भाव मन में आएं, आप ज्यों-के-त्यों कह देती हैं । ईमानदार और स्वाभाविक अभिव्यक्ति ऐसी ही होती है ।

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  4. सुन्दर सारगर्भित रचना ..यथार्थ पूर्ण सृजन के लिए बधाई..

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  5. बढ़िया सारगर्भित रचना के लिए आपको बधाई। नाम के बारे जो भी आपने कहा उससे सहमत।

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  6. बहुत बढ़िया।

    एक गाना याद आ गया... 'नाम गुम जाएगा......'

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  7. बहुत सारगर्भित रचना, अर्पिता दी।

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  8. बहुत खूब । किसी का नाम हो ,किसी का न हो हर हाल में परेशानी ।
    ताज़ा मुद्दे पर बढ़िया कलम चली है ।

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  9. नाम की गहराई खोखली है..

    या कि उचाई असीम है..

    यही समझना तो बहुत कठिन है अर्पिता जी
    नाम को समझने और समझाने की बेहतरीन कोशिश,सार्थक सृजन

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  10. बहुत सुंदर रचना

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  11. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  12. नाम वस्तु का बोधक.अस्तित्व का द्योतक - इसी लिये नाम की चाह.

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  13. उन्होंने प्यार से जो पुकारा मेरा नाम
    मेरा मन खिल उठा सरे आम
    मेरा नाम पुकारना अहम हो सकता है
    दिल का खिल jana वहम भी हो सकता है

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....