मैंने लिखी थी एक कविता..

मैंने लिखी थी एक कविता..

एक सुनहरे कागज पर..

तुमको अर्पण कर दी थी..

तुमने कागज समझ यूं ही उड़ा दी..

मेरी भेंट शायद तुम्हारी समझ से परे थी..

तुमने बताया भी नहीं..

कि तुम्हें कुछ समझ नहीं आया..

या निम्न समझ लिया उसे..

कुछ तो बताना था..

हां या ना का निर्णय सुनाना था..

तुम्हारे शून्य से उत्तर ने..

अनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..

छीन लिए मुझसे..

मैं लिख लेती और एक कविता..

यदि तुम स्पष्ट होते..

तुमने मुझे एक जगह क्यों रोक दिया..??

चलो कोई बात नहीं..

आज जो खुद से खुद को जान गए हैं..

आपके मन से दूर खुद को पहचान गए हैं

मेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..

तुमने साधक चुन लिया कोई अन्य..

अब से मेरे भी भगवान नए हैं .. !!!!!!

18 comments:

  1. 'मेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..'

    बहुत बड़ी और सारगर्भित बात कह दी आपने।

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    1. सुंदर अति सुंदर
      अंतर सिर्फ इतना
      अभिव्यक्ति एक दिल छूने पर
      और एक मन को।
      मैंने चयन क्या करता।,
      जो निकली बरबस
      वो लिख डाला
      मैंने पढ़ी जब कविता
      सुनहरे कागज़ पे।।

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  2. ईंट का जवाब पत्थर से ... वाह !

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 01 फ़रवरी 2021 को 'अब बसन्त आएगा' (चर्चा अंक 3964) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव


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    1. धन्यवाद आपका..चर्चा में जगह देने के लिए

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  4. बहुत अच्छी कविता । निस्संदेह !

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  5. तुम्हारे शून्य से उत्तर ने..

    अनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..

    छीन लिए मुझसे..

    मैं लिख लेती और एक कविता..

    यदि तुम स्पष्ट होते..
    हृदय को छू लेने वाली रचना ।
    भावपूर्ण।
    सुंदर।

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  6. वाह!बेहतर 👌
    अब से मेरे भी भगवान नए हैं ...वाह!

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  7. अति सारगर्भित सुंदर सृजन।

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  8. प्रगतिशील विचारों को दर्शाती कविता मुग्ध करती है - - सुन्दर कृति।

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  9. बहुत खूब नये प्रतिमानों के साथ अभिनव सृजन।

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  10. आपके मन से दूर खुद को पहचान गए हैं
    मेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..
    तुमने साधक चुन लिया कोई अन्य..
    अब से मेरे भी भगवान नए हैं .. !!

    वाह !!!
    प्रेम और स्वाभिमान के संतुलन की सुंदर रचना 🌹🙏🌹

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  11. मुस्कुराहट की प्रस्तावना बहुत सुलझी हुई और बेबाक़ है. बहुत अच्छी लगी बात. बधाई !

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  12. तुम्हारे शून्य से उत्तर ने..

    अनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..

    छीन लिए मुझसे..

    मैं लिख लेती और एक कविता..

    यदि तुम स्पष्ट होते..बहुत सराहनीय

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  13. उत्तर न मिले तोप्रश्न बंद नहीं होते !!

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  14. आपपके लिए सदैव हृदय से आशीर्वाद है । जैसे हँसती दिख रही हैं वैसे ही हँसते रहिए ।

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ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....