मैंने लिखी थी एक कविता..
एक सुनहरे कागज पर..
तुमको अर्पण कर दी थी..
तुमने कागज समझ यूं ही उड़ा दी..
मेरी भेंट शायद तुम्हारी समझ से परे थी..
तुमने बताया भी नहीं..
कि तुम्हें कुछ समझ नहीं आया..
या निम्न समझ लिया उसे..
कुछ तो बताना था..
हां या ना का निर्णय सुनाना था..
तुम्हारे शून्य से उत्तर ने..
अनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..
छीन लिए मुझसे..
मैं लिख लेती और एक कविता..
यदि तुम स्पष्ट होते..
तुमने मुझे एक जगह क्यों रोक दिया..??
चलो कोई बात नहीं..
आज जो खुद से खुद को जान गए हैं..
आपके मन से दूर खुद को पहचान गए हैं
मेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..
तुमने साधक चुन लिया कोई अन्य..
अब से मेरे भी भगवान नए हैं .. !!!!!!
'मेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..'
ReplyDeleteबहुत बड़ी और सारगर्भित बात कह दी आपने।
ईंट का जवाब पत्थर से ... वाह !
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 01 फ़रवरी 2021 को 'अब बसन्त आएगा' (चर्चा अंक 3964) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
धन्यवाद आपका..चर्चा में जगह देने के लिए
Deleteबहुत अच्छी कविता । निस्संदेह !
ReplyDeleteतुम्हारे शून्य से उत्तर ने..
ReplyDeleteअनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..
छीन लिए मुझसे..
मैं लिख लेती और एक कविता..
यदि तुम स्पष्ट होते..
हृदय को छू लेने वाली रचना ।
भावपूर्ण।
सुंदर।
वाह!बेहतर 👌
ReplyDeleteअब से मेरे भी भगवान नए हैं ...वाह!
अति सारगर्भित सुंदर सृजन।
ReplyDeleteप्रगतिशील विचारों को दर्शाती कविता मुग्ध करती है - - सुन्दर कृति।
ReplyDeleteबहुत खूब नये प्रतिमानों के साथ अभिनव सृजन।
ReplyDeleteआपके मन से दूर खुद को पहचान गए हैं
ReplyDeleteमेरी कविता के अब से प्रतिमान नए हैं..
तुमने साधक चुन लिया कोई अन्य..
अब से मेरे भी भगवान नए हैं .. !!
वाह !!!
प्रेम और स्वाभिमान के संतुलन की सुंदर रचना 🌹🙏🌹
मुस्कुराहट की प्रस्तावना बहुत सुलझी हुई और बेबाक़ है. बहुत अच्छी लगी बात. बधाई !
ReplyDeleteतुम्हारे शून्य से उत्तर ने..
ReplyDeleteअनगिनत प्रस्ताव मुस्कुराहट के..
छीन लिए मुझसे..
मैं लिख लेती और एक कविता..
यदि तुम स्पष्ट होते..बहुत सराहनीय
उत्तर न मिले तोप्रश्न बंद नहीं होते !!
ReplyDeleteआपपके लिए सदैव हृदय से आशीर्वाद है । जैसे हँसती दिख रही हैं वैसे ही हँसते रहिए ।
ReplyDeleteसादर प्रणाम
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