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चाय..

चाय..
स्वागत है, सत्कार है आगंतुक का..
दिनभर का कोई ना कोई संग है ये..
मौसम का मिज़ाज है ये कोई,
हर मौसम के साथ, लिए रूप कई..
हर किसी को पसंद है ये..
रोटी के साथ, किसी गरीब के हाथ 
रोटी को नरम बनाती हुई..
जीवन का अप्रतिम आनंद है ये..
सुबह के नाश्ते का सबसे खास..
भोजन के बाद का अवकाश..
शाम का निश्चित प्रबंध है ये..
किसी बात का आरंभ..
किसी बात का सारांश..
समूह चर्चा के मध्य..
मुख्य आकर्षण ..
चर्चा को आगे तक ले जाने का..
हां कोई यंत्र है ये..
हर किसी को पसंद है ये..


















ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...

ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....