स्वीकार कर लो..
जो सभ्य और सही हो..
सीखने में शर्म कैसी ?
चाहे बात छोटे बच्चे ही ने कही हो।
तू तू मैं के आलाप..
क्योंकर करें हम ऐसे जाप..
उम्र का..
हैसियत का मसला ही नहीं है..
ये आपकी जुबान का..
किसी की शक्सियत की पहचान का..
तरीका है..
"आप"के संबोधन का ..
कोई विकल्प नहीं है..
सभी हैं गुरु किसी ना किसी तरह. .
यहां कोई भी अल्प नहीं है..।।
यहां कोई भी अल्प नहीं है..।।