No posts with label सही. Show all posts
No posts with label सही. Show all posts
Subscribe to:
Posts (Atom)
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही...
ओझल तन मन...जीवन.. हम तुम केवल बंधे बंधे.. हम राही केवल, नहीं हमराही... चले आते हैं, चले जाते हैं... सुबह शाम बिन कहे सुने.. न हाथों का मेल....
-
वो जो था कभी घर आंगन..... वो आज मकान बिकाऊ है. !! क्योंकर इतना हल्कापन.....!! रिश्तों का ये फीका मन......!! सब कुछ कितना चलताऊ है !! खूब कभी...
-
अनुबंध मन के ........तोड़कर जाएंगे कहां .. लौटेंगे यहीं..मन के आकर्ष झुठलाएंगे कहां.. व्यथित होंगे.............तलाशेंगे तुम्हीं को.. वेदना ह...
-
खेलते खेलते निकले थे.. जीवन का प्यार लिए.. बहुत लुभावना ,बहुत बड़ा अति आकर्षक संसार लिए..। थोड़े बड़े हुए खुद जो..छोटे पग लगने लगे.. विस्तार...